*संभागीय परिवहन विभाग की मिलीभगत से जिले में फैला डबल डेकर बसों का काला साम्राज्य*
*जगह जगह संचालित है अवैध डबल डेकर बसों के स्टैंड*
*हो रही मौतों का जिम्मेदार कौन..?*
*ब्यूरो रिपोर्ट*
बहराइच।एक बार फिर जिला प्रशाशन की लापरवाही के कारण यमराजरूपी टूरिस्ट डबल डेकर बस की अनियंत्रित स्पीड ने थाना पयागपुर क्षेत्र में एक ट्रैक्टर को ओवरटेक करने के चक्कर में टैंपो में सवार वलीमें में शामिल होने जा रहे एक ही परिवार के कई लोगों को टैंपो के परखच्चे उड़ाकर कई को गंभीर रूप से घायल कर पांच लोगों को काल का ग्रास बनवाने में सफल हो गई।मालूम हो कि जिले में टूरिस्ट परमिट की आड़ में डबल डेकर बसों में अन्य प्रांतों की लंबी दूरी की सवारियां ढोई जा रही है। अवैध रूप से चलाई जा रही यह 36 सीटर टूरिस्ट स्लीपर डबल डेकर बसे जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों की संकरी सड़कों पर तेज रफ्तार में फर्राटे भर दुर्घटनाओं का सबब बन रही है। 18 अगस्त को खैरीघाट इलाके के तकिया रखौना गांव के संकरे पुल पर अनियंत्रित बस टंग गई थी। जिसमें 65 सवारियों की जिंदगी दांव पर लग गई थी।रेल महकमे की ओर से विभिन्न रेल प्रखंडों पर 2014 के बाद मीटर गेज से ब्राड गेज अमान परिवर्तन के दौर में टूरिस्ट परमिट की आड़ में डबल डेकर बसों का लंबी दूरी की सवारियां ढोए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था। गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों से चलने वाली यह बसे जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों के संकरे रोड से सवारियां ढोती हुई दिल्ली, मुंबई, गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा आदि प्रांतों की फुटकर सवारियां ढोती हैं। इनके ऐजेंट गांवो में घूम_घूम कर सवारियां बुक करते हैं। संकरे मार्गों से इन बसों के चलने से दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गई है। तमाम दुर्घटनाओं के बाद प्रदेश शासन की कड़ाई के बावजूद जिले में इनका जाल और बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार ने तमाम तहसील मुख्यालयों से कानपुर, दिल्ली की बसे चलाई है। इन रोडवेज बसों पर सवारियां नही या कम ही पहुंच रही है। जिसके चलते सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है। दो सप्ताह पूर्व रोडवेज बस स्टैंड के सामने से ही टूरिस्ट बस की ओर से सवारियां भरे जाने पर रोडवेज बस चालको द्वारा लगभग एक घंटे तक विरोध में चक्का जाम कर एआरएम, एआरटीओ, पुलिस पर अवैध डग्गामार वाहनों पर रोकथाम के बजाय संरक्षण का आरोप लगाया गया था।उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2021 से अब तक लगभग 30 मौते हो चुकी हैं।पूर्व में खैरीघाट के तकिया रखौना सरयू नहर के बेहद संकरे पुल से डबल डेकर बस निकलते समय उसका एक पहिया पुल से नीचे जाने पर लटक गई थी। बस से एक बाल श्रमिक नहर में जा गिरा था। जिसे गोताखोरों ने तत्काल कूद कर बचा लिया था। 35 सीटर स्लीपर बस में 65 सवारियों की जान खतरे में पड़ गई थी। जिन्हे ग्रामीणों की सूझ बूझ से बचा लिया गया था।बावजूद जिला प्रशाशन ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा।उक्त पुल से होकर डबल डेकर बसों का आना जाना बंद नही हुआ है। अक्तूबर 2021 में दिल्ली से बहराइच आ रही डबल डेकर बस बाराबंकी जिले के संकरे किसान पथ पर ट्रक से टकराकर चकनाचूर हो गई थी। जिसमें बहराइच जिले के 14 यात्रियों की मौत हुई थी। खुलासा यह भी हुआ था कि न तो बस का परमिट था और न ही फिटनेस पास थी। तो इंश्योरेंस तो दूर की बात थी। इस हादसे में मृतक आश्रितों को सरकार की ओर से घोषित दो लाख का मुआवजा आज तक नही मिला। क्योकि परमिट, फिटनेस, इंश्योरेंस न होने से कोई कार्रवाई आगे नही बढ़ सकी थी।फिर भी घटना के बाद अल्प काल के लिए जागने वाला प्रशाशन फिर शून्य की अवस्था में चला गया। यही नही जिन अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटकी थी वह आज भी ड्यूटी पर मुस्तैद हैं।जबकि टूरिस्ट बसे फुटकर सवारियों को नहीं ढो सकती हैं।क्योंकि टूरिस्ट परमिट की बसों का ठेका परमिट होता है। यह टूरिस्ट जत्थों के यात्रियों को ढो सकती हैं। फुटकर यात्री नही। जबकि जिले के रूपईडीहा क्षेत्र से ही रोजाना दर्जनों बसे टूरिस्ट परमिट पर चल रही है। महसी इलाके से लगभग पचास बसे, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती से चलकर जिले में हुजूरपुर व नवाबगंज इलाके के संकरे मार्गों से गुजरती हैं।यही नहीं बल्कि केडीसी स्थित एक पेट्रोल पंप व आसाम रोड से ही तमाम बसे दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब आदि क्षेत्रों को निकलती हैं।बात इनके रजिस्ट्रेशन की करें तो 300 बसें एआरटीओ दफ्तर में पंजीकृत हैं।
जिसमें 28 स्लीपर बसे ही रजिस्टर्ड हैं।जबकि 150 से अधिक स्लीपर बसों द्वारा सवारियां ढोने की बात बताई जा रही है। एआरटीओ पूछने पर बताते हैं कि जिले में 28 स्लीपर बसें पंजीकृत हैं और लगातार भ्रमण कर अवैध वाहनों पर कार्यवाई की जा रही है।अब यहां की आवाम के बीच बड़ा सवाल यही है कि जिले में स्थापित डबल डेकर बसों के काले साम्राज्य पर आखिर कौन लगाम लगाएगा..?मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुवे शासन को आखिर कब गलत रिपोर्टें भेजी जाती रहेंगी...?