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आजाद हिन्द फौज के संस्थापक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के दो बार अध्यक्ष रहे महान क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चंद्र बोस के 128वें जयंती पर जिला कांग्रेस सेवादल के तत्वावधान में जिला कार्यालय में रमेश चन्द्र मिश्र के अध्यक्षता में क्रांति दिवस के रूप में नमन किया गया,bahraich

आजाद हिन्द फौज के संस्थापक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के दो बार अध्यक्ष रहे महान क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चंद्र बोस  के 128वें जयंती पर जिला कांग्रेस सेवादल के तत्वावधान में जिला कार्यालय में रमेश चन्द्र मिश्र के अध्यक्षता में क्रांति दिवस के रूप में नमन किया गया
 इस अवसर पर उपस्थित पदाधिकारियों ने नेता जी के चित्र पर माल्यार्पण करके सामूहिक रूप से शैल्यूट किया। उक्त दौरान कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षक विनय सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23जनवरी1897में कटक (कलकत्ता)बंगाल प्रांत में हुआ था। उनके द्वारा सशस्त्र क्रांति के इरादे से आज़ाद हिन्द की स्थापना की गई थी। उनका प्रमुख नारा-तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, दिल्ली चलो को सभी ने मुक्तकंठ से सराहा था और नेता जी हर लोगों के आंखों के तारा तथा नौजवानों के नायक बन गये थे। उन्होंने प्रोबेशनर आई सी एस का ओहदा छोड़कर देशबंधु चितरंजन दास की प्रेरणा से असहयोग तथा खिलाफत आन्दोलन में सक्रिय योगदान दिया। दलित अधिकार टास्क फोर्स के नेता मूलचन्द राव ने कहा कि नेता जी 1938में हरीपुर तथा1939में त्रिपुरा कांग्रेस महाधिवेशन की अध्यक्षता करके देश व समाज में समाजवाद और भारत के आर्थिक एवं राजनैतिक पक्ष को मजबूती से रखकर नया बिगुल बजाया था। इशारत खान एडवोकेट ने कहा कि नेता जी 1932में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल में रहते हुए भी कलकत्ता के मेयर चुने गए थे, उन्होंने करांची कांग्रेस और नौजवान भारत सभा के सत्रों के दौरान देशहित में कई मुद्दे उठा कर अंग्रेजी हुकूमत की नींद तोड़ दी थी। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में जिलाध्यक्ष रमेश चन्द्र मिश्र ने कहा कि 1928के कांग्रेस महाधिवेशन में नेता जी ने पूर्ण स्वराज की मांग उठा कर स्वाधीन गणतांत्रिक राष्ट्र की कल्पना करके महिलाओं, वंचितों तथा कामगार वर्गों के हक की आवाज बुलंद किया था। फरवरी 1933मेंजेल से रिहा होने के बाद उन्होंने यूरोपीय देशों की यात्रा की थी 1935मेंअधिनियम संशोधन के मुद्दों पर कुछ नेताओं के मतभेद चरम पर हो गया था। 1939में गाँधी जी के सम्मान में अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अनुशासन की मिशाल बने। उन्होंने सर्वप्रथम गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया जिसे बाद में समूचे राष्ट्र ने अपनाया। विश्वकवि रवींद्र नाथ टैगोर तथा शरतचंद्र बोस ने सुभाष चंद्र बोस जी को देश नायक कहकर सम्मान दिया था। संचालक रामदीन गौतम ने कहा कि 2जुलाई 1940में नेता जी 11वीं बार बंदी बनाए गए तथा उन्हें उनके घर में ही नजरबंद रखा गया था। फिर भी वे 16-17जनवरी 1941की रात को वह अपने घर से भाग निकलने में सफल हुए थे। कार्यक्रम में सादात अहमद अवधराज पासवान अमर सिंह वर्मा जगतराम चौहान बैजनाथ चौधरी राजू मुस्तफा रमेश सिंह लाल राजेश गौतम आदि ने भी अपने अपने विचार ब्यक्त किए।
रिपोर्ट /संवाददाता ::शुभम कुमार त्रिपाठी
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